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Monday, 20 February 2012

अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ?-----राजीव चतुर्वेदी


"शंखनादों से सुबह सहमी है 
आर्तनादों से शाम 
अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ?


एक सहमी सी सुबह से मैंने पूछ था ये सच 



शाम होते शहर शोकाकुल सा नज़र आया 

सच की दुनिया अब अखबारों को अखरती है 

झूठ का झंडा उठाये दूरदर्शन दौड़ आया 

सुना है गिद्ध की नज़रें हमारे गाँव पर हैं 

सुना है चहकती चिड़िया आज चिंतित है 

सुना है गाय का बच्चा अपनी मां के दूध से वंचित है 



सुना है यहाँ कलियाँ सूख जाती हैं नागफनीयाँ सिंचित हैं 

सुना है फूल तोड़े जा रहे हैं मुर्दों पे चढाने को 

सुना है कांटे तो खुश हैं पर राहें रक्तरंजित हैं 

सुना है शब्द सहमे हैं साँसें थम गयी हैं

अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ?

एक सहमी सी सुबह से मैंने पूछ था ये सच 

शाम होते शहर शोकाकुल सा नज़र आया 



घर पे आया सबको हंसाया 

छत पे जाके अपने आंसू पोंछ आया 

आवाज़ देकर फलक से मुझे किसने बुलाया 

भूकंप से काँपे घर की देहरी पर दिया किसने जलाया 

शंखनादों से सुबह सहमी है 

आर्तनादों से शाम 

अमन के नाम पर कफ़न किसने उढ़ाया ? 

एक सहमी सी सुबह से मैंने पूछ था ये सच 

शाम होते शहर शोकाकुल सा नज़र आया 

आवाज़ देकर फलक से मुझे किसने बुलाया 

भूकंप से काँपे घर की देहरी पर दिया किसने जलाया. "----राजीव चतुर्वेदी


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