Total Page Views of Dil Se Desi Shayari-Poetry Blog by
Visitors w.e.f. 20.00 Hrs IST 26/06/11

Total Page/Topic Views

Recent Topics

Showing posts with label Hindi general poem. Show all posts
Showing posts with label Hindi general poem. Show all posts

Friday, 11 May 2012

आओ हम सब मिलकर सच की आस्था को ठेस पहुंचाएं और कविता गुनगुनाएं." -----राजीव चतुर्वेदी

"फेसबुक पर कठिन है सत्य बोलना,
हनुमान जी की बातें करो
तो वेश्याओं के मोहल्ले में हाहाकार मच जाता है
कि यह व्यक्ति हमारी दूकान ही ठप्प कर देगा
वेश्याएं सेकुलर जो होती है,
कोलंबस की बात करो तो
गूलर के भुनगे भिनभिनाते हुए अपने ग्लोब्लाईजेसन को बघारने लगे



चमगादड़ के शब्दकोष में सूरज अंधियारा करता है
हिन्दुओं की रूढ़ियाँ तोड़ोगे हिंदूवादीयो की आस्था को ठेस पहुंचेगी
इस्लाम का इहिलाम हुआ तो फतवा काम तमाम कर सकता है
ईसाईयों ने तो ह़र साल ईसा मसीह को
सूली सजा कर उसपर उन्हें बार बार टांगने में परहेज नहीं किया
गेलीलियो के घर का बहुत पहले ही बुझा दिया था दिया
इस लिए खामोश !! 
--ईसाईयों की बात मत करना सच बोलने से उनकी आस्था को भी ठेस पहुँचती है



कोंग्रेसीयों /भाजपाईयों /सपाईयों /बसपाईयों/चोरों /हरामजादों के बारे में भी सच कभी नहीं बोलना
आखिर उनकी भी आस्था है उनको भी ठेस पहुँचती है
कविता या साहित्य की बात भी यहाँ नहीं करना
क्योंकि वह जो स्वयम्भू सम्पादक जैसा बिजूका है एडमिन
उसे कविता की न भाषा ही पता है और न परिभाषा
यहाँ सच न बोलना इससे किसी न किसी की आस्था को ठेस पहुँचती ही है
आओ साहित्य लिखे बेतुकी बातों को तुक में पिरोयें पर प्रेमिका की बात मत करना
इससे उस प्रेमिका के परिजनों की आस्था को ठेस पहुँचती है
आओ हम सब मिलकर सच की आस्था को ठेस पहुंचाएं और कविता गुनगुनाएं." -----राजीव चतुर्वेदी

Tuesday, 8 May 2012

सफ़र लंबा है,...मुझे जाना है...चल रहा हूँ मैं ..." --राजीव चतुर्वेदी


" ऐ उड़ते हुए फरिश्तो,--- मेरी फेहरिस्त देख लो

हैं नाम इसमें दर्ज वही लोग हैं यहाँ

जिनका ज़मीर जिंदा है जज़्वात हैं वहां

अभी ऐतबार बाकी है मुझे कुछ और दिन रहना है

अभी प्यार बाकी है कुछ लोगों को उसे देना है

वो मोहब्बत, वो इमारत, वो इबारत डूबती है आँख में मेरी



मैं और रहना चाहता था, जिन्दगी से प्यार मेरे यार मुझको भी था



मैं जाता हूँ ,...सफ़र है यह, ...गुजरता हूँ गुजारिश से



मैं नहीं रहूँगा फिर भी कर सको तो मेरी वफाओं पे ऐतबार कर लेना



ऐ उड़ते हुए फरिश्तो मेरी फेहरिस्त देख लो



सफ़र लंबा है,...मुझे जाना है ,...चल रहा हूँ मैं ..." -----राजीव चतुर्वेदी

Thursday, 19 April 2012

आओ ख्वाब को तोड़ें उन्हें फिर बेच दें. " ----- राजीव चतुर्वेदी


"आओ ख्वाब को तोड़ें उन्हें फिर बेच दें,

बाजार की रस्में रहम का वहम भी मत रख.

दिल कल तोड़ा था यहाँ वह बिक गया

ईमान के टुकड़े यहाँ परवान चढ़ते हैं

भूगोल को तोड़ो तो फिर देश बनते हैं

देश को तोड़ो प्रदेश बनते हैं

प्रान्त को तोड़ो बनोगे मुख्यमंत्री

भ्रान्ति को तोड़ो के तो फिर क्रान्ति होगी

चरित्र के टुकड़े की कीमत कौन देता है ?

हर कोइ मौक़ा मिले तो बेच देता है




सत्य के टुकड़े बिक़े अखबार में देखो

न्याय के टुकड़े जजों की सत्य निष्ठा है

समाज के टुकड़े बनी सब जातियां बिकती हैं जोरों से

दहेज़ को सहेजते लोगों से पूछो --देह बिकती है विवाहों में यहाँ

आत्मा बिकती है हर त्यौहार में

चरित्र के टुकड़े की कीमत कौन देता है ?

हर कोइ मौक़ा मिले तो बेच देता है

ईमान के टुकड़े यहाँ परवान चढ़ते हैं

बाजार की रस्में रहम का वहम भी मत रख

आओ ख्वाब को तोड़ें उन्हें फिर बेच दें. " ----- राजीव चतुर्वेदी

Sunday, 29 January 2012

लैला और मजनूँ के भूत भी पछताते हैँ


तुलसी की जगह Money plant  ने ले ली,


चाचीजी की जगह Aunt ने ले ली!

पिताजी जीते जी डैड 

हो गये 



आगे और भी है आप तो अभी से Glad हो गये!

भाई Bro हो गये बहिन अब Sis हो गयी,

दादा दादी 

की तो हालत टाँय टाँय Fiss हो गयी!



बड़ी बुरी दशा परिचारिका के Mister की हो गयी,

बेचारे की तो बीवी भी Sister हो गयी!




जीती जागती माँ बच्चोँ के लिये Mummy हो गयी,

घर की रोटी अब अच्छी कैसे लगे 

5 रुपये की Maggi




जो इतनीYummy हो गयी!

दिन भर बेटा CHATTING ही नहीँ करता,

रात मे Mobileपर SETTING भी करता है!

लैला और मजनूँ के भूत भी पछताते हैँ,

क्योँकि उनके नाम अब सड़क किनारे नुक्कड़ पे

पुकारे जाते हैँ!LoL

Contributed by Namita Mishra

Monday, 16 January 2012

जिन्दगी हर ख्वाब की ख्वाहिश ही हुआ करती है ." ---- राजीव चतुर्वेदी


जिन्दगी हर ख्वाब की ख्वाहिश ही हुआ करती है ." ---- राजीव चतुर्वेदी




"खामोश सी दिखती खला को खंगालो तो कोई ख्वाब दिखे
ख्वाब की तासीर पहचानो तो कुछ बात बने
रूह जब जागती और देह सोती हो जहाँ
ख्वाब खामोशी से उनवान लिखा करते हैं
देह वह पुल है जिसके ऊपर तारों से चमकते हैं ख्वाब
और इस पुल के नीचे बहुत दूर तलक
जिन्दगी दरिया सी बहा करती है
तुमने जाजवात के जख्मों को संजोया तो समझलो इतना
ख्वाब जब रूह से मिलते हैं तो इह्लाम हुआ करते हैं
ख्वाब जब देह से मिलते हैं तो इल्जाम हुआ करते हैं
ख्वाब जब आँख में हों तो आंसू बन कर अपने अहसास को अकेले में नमी दिया करते हैं
ख्वाब गर हों तेरी आँख में तो सहेजो इनको
ख्वाब में दर्ज हैं ख्वाहिश की इबारत यारो
हकीकत जब हाशिये पर हो, हसरतें हांफती हों
ख्वाब में खोजो कोई उनवान पढो
ख्वाब की तासीर पहचानो तो कुछ बात बने
जिन्दगी हर ख्वाब की ख्वाहिश ही हुआ करती है ." ---- राजीव चतुर्वेदी

Thursday, 29 December 2011

कचहरी न जाना- कचहरी न जाना.


भले डांट घर में तू बीबी की खाना, भले जैसे -तैसे गिरस्ती चलाना

भले जा के जंगल में धूनी रमाना,मगर मेरे बेटे कचहरी न जाना

कचहरी न जाना- कचहरी न जाना.

Sunday, 4 December 2011

अपनी भी जान दाव पर लगाओ ! " --- राजीव चतुर्वेदी



" पावर हाउस के बाहर झोपड़ी में लटकी है एक लालटेन,


भोजनालयों के बाहर भूखे भिखारियों की भीड़


स्कूलों के बाहर खिलोने से खेलने की उम्र में खिलोने बेचते अनपढ़ बच्चे


गंगोत्री के इलाके में पेयजल समस्या




जो इलाके सूखे से त्रस्त होते है वही बाढ़ में पस्त होते हैं

मंदिर मस्जिद गुरद्वारों में आतंकियों को पनाह

प्यार का अभाव पर सेक्स सरे राह

शहरों में मोटापा और किसानो में भुखमरी




भूखे पेट भरे गोदाम अखबारों में चर्चा आम 

मंदिरों में सन्नाटा और जेलें हाउसफुल

सांसद में बहस बंद और सड़क पर बहसें

दिल से पतिता ब्लॉग पर कविता




मानवता ने सबकुछ कर लिया है प्रभु !

तुम सही वितरण ही करदेते , वह भी नहीं कर सके

हम कब तक तुम्हारी लड़ाई लड़ें तुम भी तो कभी आओ

अपनी भी जान दाव पर लगाओ ! " --- राजीव चतुर्वेदी

Tuesday, 29 November 2011

आज कुछ नहीं लिखूंगा. " -- राजीव चतुर्वेदी



"आओ कुछ अच्छा लिखें
राष्ट्रपति पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
इन्द्र गांधी की रसोइया का राष्ट्रपति बन जाना उनके लिए गर्व की बात है 
प्रधान मंत्री पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
हालांकि उन्हें देश की जनता ने कभी नहीं चुना किन्तु वह प्रधानमंत्री हैं
सोनिया पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
क्योंकि वह देश राजनीति से नहीं देह राजनीति के रास्ते यहाँ तक पहुँची हैं
राहुल गांधी हों या महाजन पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
अर्थ नीति पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
राजनीति पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
खेल नीति / विदेश नीति पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
क़ानून व्यवस्था पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
पुलिस पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
मायाबती/ मुलायम/ करूणानिधि/ यदुरप्पा /कल्माणी / कनीमोझी पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
"शीला" कहो तो "शीला की जवानी" याद आती है दिल्ली की मुख्यमंत्री नहीं
रोबर्ट्स बढेरा हों या चटवाल सभी हैं मालामाल पर देश हो रहा है कंगाल उस पर अच्छा नहीं लिखा जा सकता
कोंग्रेस /भाजपा /माकपा पर अच्छा लिखा नहीं जा सकता
अपने और पराये काले धन का अनुलोम विलोम करते स्वामी रामदेव पर भी अब अच्छा लिखने का मन नहीं करता 
अपने गुरु की रहस्यमय ह्त्या का राज्याभिषेक रामदेवनुमा राजनीति को रोमांचित करता है
जनता यानी कि हमारे आपके चितकबरे चरित्र पर भी अच्छा नहीं लिखा जा सकता
NGO के टेस्ट ट्यूब बेबी अग्निवेश,संदीप पाण्डेय,तीस्ता सीतलवाद,किरण बेदी, केजरीवाल, शबाना आजमी , महेश भट्ट
अनुदानों के कीचड़ में किलोलें कर रहे हैं, इन पर भी अच्छा नहीं लिखा जा सकता
अन्ना का पन्ना अभी लिखा जाना शेष है
आसान किश्तों में जेल जा रहे और जनता से जूते थप्पड़ खा रहे
मनमोहन मंत्रिमंडल के बारे में भी कुछ अच्छा नहीं लिखा जा सकता
आतंकवाद में शामिल मौलवियों के बारे में भी अच्छा नहीं लिखा जा सकता
और यौनशोषण के आरोपों में लिप्त महंतों और पादरियों के बारे में भी अच्छा नहीं लिखा जा सकता
क्रिकेट पर दाउद की दया है, उसका हर मैच फिक्स है बाकी खेल दयनीय से हैं उनकी दशा पर अच्छा नहीं लिखा जा सकता 
इसी लिए आज छुट्टी
आज कुछ नहीं लिखूंगा. " -- राजीव चतुर्वेदी

Tuesday, 18 October 2011

धरती माता ( कविता) (Dharti Mata Kavita)

धरती माता ( कविता)



धरती हमारी माता है,

माता को प्रणाम करो

बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो

आओ हम सब मिलजुल कर,
इस धरती को ही स्वर्ग बना दें

देकर सुंदर रूप धरा को,
कुरूपता को दूर भगा दें

नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,
नैतिकता से काम करें

गंदगी फैला भूमि पर
माँ को न बदनाम करें

माँ तो है हम सब की रक्षक
हम इसके क्यों बन रहे भक्षक

जन्म भूमि है पावन भूमि,
बन जाएँ इसके संरक्षक

कुदरत ने जो दिया धरा को
उसका सब सम्मान करो

न छेड़ो इन उपहारों को,
न कोई बुराई का काम करो

धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो

बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो

Sunday, 18 September 2011

Waqt Nahi.

Thursday, 8 September 2011

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

 


जिनकी यह भाषा वही इसको भूले, कि भारत में हिंदी क़दर खो रही है !
हिन्दी दिवस पर ही हिन्दी की पूजा, इसे देख हिंदी बहुत रो रही है !! १



 


हर एक देश की एक भाषा है अपनी, उसे देश वासी हैं सर पर बिठाते,
मगर कैसी निरपेक्षता अपने घर में, हम अपनी ज़ुबां को स्वयं भूले जाते,
मिला सिर्फ एक दिन ही पूरे बरस में, यह हिन्दी की क्या दुर्दशा हो रही है !! २

Saturday, 3 September 2011

लक्ष्मण रेखा Laxman Rekha

www.dilsedesi.co
www.dilsedesi.co
www.dilsedesi.co

Friday, 2 September 2011

Phool Ka Sandesh

Thursday, 1 September 2011

Insan Ki Ankh Se Do Hi Time Aansu Nikalte Hai

Insan Ki Ankh Se Do Hi Time Aansu Nikalte Hai
Jab Uska Dard Bardash Se Bahar Ho Jata Hai Tab
Aur Jab Woh Zyada Khushi Bardash Na Kar Sake

Wednesday, 31 August 2011

दाम्पत्य( Dampatya Hindi Kavita Written by Sh. R. N. Singh)

Wednesday, 24 August 2011

भूर्ण हत्या ( Bhurn Hatya) Hindi Kavita Written By R.N. Singh

http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot

Saturday, 20 August 2011

Tallaq

http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot
http://naritereroopanek.blogspot.com/ Written By R.N. Singh Bhopal @ Nari Tere Roop Anek Blogspot

Thursday, 28 July 2011