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Friday, 11 May 2012

आओ हम सब मिलकर सच की आस्था को ठेस पहुंचाएं और कविता गुनगुनाएं." -----राजीव चतुर्वेदी

"फेसबुक पर कठिन है सत्य बोलना,
हनुमान जी की बातें करो
तो वेश्याओं के मोहल्ले में हाहाकार मच जाता है
कि यह व्यक्ति हमारी दूकान ही ठप्प कर देगा
वेश्याएं सेकुलर जो होती है,
कोलंबस की बात करो तो
गूलर के भुनगे भिनभिनाते हुए अपने ग्लोब्लाईजेसन को बघारने लगे



चमगादड़ के शब्दकोष में सूरज अंधियारा करता है
हिन्दुओं की रूढ़ियाँ तोड़ोगे हिंदूवादीयो की आस्था को ठेस पहुंचेगी
इस्लाम का इहिलाम हुआ तो फतवा काम तमाम कर सकता है
ईसाईयों ने तो ह़र साल ईसा मसीह को
सूली सजा कर उसपर उन्हें बार बार टांगने में परहेज नहीं किया
गेलीलियो के घर का बहुत पहले ही बुझा दिया था दिया
इस लिए खामोश !! 
--ईसाईयों की बात मत करना सच बोलने से उनकी आस्था को भी ठेस पहुँचती है



कोंग्रेसीयों /भाजपाईयों /सपाईयों /बसपाईयों/चोरों /हरामजादों के बारे में भी सच कभी नहीं बोलना
आखिर उनकी भी आस्था है उनको भी ठेस पहुँचती है
कविता या साहित्य की बात भी यहाँ नहीं करना
क्योंकि वह जो स्वयम्भू सम्पादक जैसा बिजूका है एडमिन
उसे कविता की न भाषा ही पता है और न परिभाषा
यहाँ सच न बोलना इससे किसी न किसी की आस्था को ठेस पहुँचती ही है
आओ साहित्य लिखे बेतुकी बातों को तुक में पिरोयें पर प्रेमिका की बात मत करना
इससे उस प्रेमिका के परिजनों की आस्था को ठेस पहुँचती है
आओ हम सब मिलकर सच की आस्था को ठेस पहुंचाएं और कविता गुनगुनाएं." -----राजीव चतुर्वेदी

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