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Saturday 2 June 2012

ना इधर के रहे, ना उधर के रहे




    ना इधर के रहे    
 ना उधर के रहे

 बिच में लटकते रहे

 
 ना India को भुला सके

 ना  America   अपना सके

 इंडियन अमेरिकन बन के काम चलाते रहे

 
 ना गुजराती को छोड़ सके

 ना अंग्रेजी को पकड़ सके

 देसी accent में गोरो को confuse करते रहे

 
 ना  turkey को पका सके

 ना ग्रेवी बना सके

 मुर्गी को दम देके thanks giving मनाते रहे

 
 ना Christmas tree बना सके

 ना बच्चो को समजा सके

 दिवाली पर Santa बनके तोहफे बाँटते रहे

 
 ना shorts  पहेन सके

 ना सलवार कमीज़ छोड़ सके

 Jeans पर कुरता और स्नीकर्स पहेन कर इतराते रहे

 
 ना नाश्ते में Donut खा सके

 ना खिचड़ी कढी को भुला सके

 Pizza  पर मिर्च छिड़ककर मज़ा लेते रहे

 
 ना गरमी को भुला सके

 ना Snow को अपना सके

 खिड़की से सूरज को देखकर Beautiful Day कहेते रहे

 
 अब आयी बारी Baroda जाने की तो

 हाथ में पानी का शीशा लेकर चलते रहे

 
 लेकिन वहां पर.............

 
 ना भेल पूरी खा सके

 ना लस्सी पी सके

 पेट के दर्द से तड़पते रहे

 हरड़े और एसबगुल से काम चलाते रहे

 
 ना मच्छर से भाग सके

 ना खुजली को रोक सके

 Cream से दर्दो को छुपाते रहे

 
 ना फकीरों से भाग सके

 ना Dollar को छुपा सके

 नोकरो से पीछा छुड़ाकर भागते रहे

 
 ना इधर के रहे

 ना उधर के रहे

 
 कमबख्त कही के ना रहे

 
 बस "ABCD (American Born Confused Desi) "

 औलाद को और Confuse बनाते रहे.....Phir Bhi Dil He Hindustani...!

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