सावन के मौसम में काली घटा छाई रे !
चन्ना घर आजा तेरी याद सताई रे !!१
अम्बुवा के बाग़ों में पड़ रहे झूले,
ऐसे में कैसे कोई मितवा को भूले,
कोयल की कूहू से गूंजे अमराई रे !
चन्ना घर आजा तेरी याद सताई रे !!२
अम्बुवा पे अम्बियाँ नीम पे निम्बौली,
गावें मल्हार सब सखी हमजोली,
ऐसे में कहाँ गया मेरा हरजाई रे !
चन्ना घर आजा तेरी याद सताई रे !!३
बदरा गरज रहे, बुंदियाँ बरस रहीं,
पिया के दरस को अँखियाँ तरस रहीं,
बिरहा ने ऐसे में अगन लगाई रे !
चन्ना घर आजा तेरी याद सताई रे !!४
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Poet: Kr. Shiv Pratap Singh
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