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Tuesday 18 October 2011

धरती माता ( कविता) (Dharti Mata Kavita)

धरती माता ( कविता)



धरती हमारी माता है,

माता को प्रणाम करो

बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो

आओ हम सब मिलजुल कर,
इस धरती को ही स्वर्ग बना दें

देकर सुंदर रूप धरा को,
कुरूपता को दूर भगा दें

नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,
नैतिकता से काम करें

गंदगी फैला भूमि पर
माँ को न बदनाम करें

माँ तो है हम सब की रक्षक
हम इसके क्यों बन रहे भक्षक

जन्म भूमि है पावन भूमि,
बन जाएँ इसके संरक्षक

कुदरत ने जो दिया धरा को
उसका सब सम्मान करो

न छेड़ो इन उपहारों को,
न कोई बुराई का काम करो

धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो

बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो

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