"आओ अहसास की अंगीठी सुलगाएं, सर्द हैं रिश्ते
और रास्ते में बिछ चुकी यह अंधेरी रात है,
जिन्दगी के गुजरे पहर में याद का दरवाजा खटखटाता है कौन ?
वहम और रहम के भरोसे प्यार के रिश्ते पराये हैं जो सारे
सुना है बहुएं ससुर को शहर में जीने का सलीका बतलाने लगी हैं
और चौखट काँप जाती है दरवाजों की हलचल से
आओ अहसास की अंगीठी सुलगाएं,
सर्द हैं रिश्ते
और रास्ते में बिछ चुकी यह अंधेरी रात है." ---- राजीव चतुर्वेदी
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Tuesday, 17 January 2012
और रास्ते में बिछ चुकी यह अंधेरी रात है."---- राजीव चतुर्वेदी
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