जिन्दगी हर ख्वाब की ख्वाहिश ही हुआ करती है ." ---- राजीव चतुर्वेदी
"खामोश सी दिखती खला को खंगालो तो कोई ख्वाब दिखे
ख्वाब की तासीर पहचानो तो कुछ बात बने
रूह जब जागती और देह सोती हो जहाँ
ख्वाब खामोशी से उनवान लिखा करते हैं
देह वह पुल है जिसके ऊपर तारों से चमकते हैं ख्वाब
और इस पुल के नीचे बहुत दूर तलक
जिन्दगी दरिया सी बहा करती है
तुमने जाजवात के जख्मों को संजोया तो समझलो इतना
ख्वाब जब रूह से मिलते हैं तो इह्लाम हुआ करते हैं
ख्वाब जब देह से मिलते हैं तो इल्जाम हुआ करते हैं
ख्वाब जब आँख में हों तो आंसू बन कर अपने अहसास को अकेले में नमी दिया करते हैं
ख्वाब गर हों तेरी आँख में तो सहेजो इनको
ख्वाब में दर्ज हैं ख्वाहिश की इबारत यारो
हकीकत जब हाशिये पर हो, हसरतें हांफती हों
ख्वाब में खोजो कोई उनवान पढो
ख्वाब की तासीर पहचानो तो कुछ बात बने
जिन्दगी हर ख्वाब की ख्वाहिश ही हुआ करती है ." ---- राजीव चतुर्वेदी
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