कामयाबी हमारी , नज़र अंदाज़ क्या करोगे
औकात नहीं कुछ भी, खुद पे नाज़ क्या करोगे
मै वो दीया नहीं जो, हवा के झौके से बुझ जाऊ ,
मेरी इस हिम्मत का, तुम इलाज़ क्या करोगे
चाहे जितना भी तू अब, मुझे आजमा कर देख ले
दम भरते आसमानों का, अब परवाज़ क्या करोगे
दुश्मनी करना हमने किसी से सिखा तो नहीं था
शुरुवात तो तुमने क़ी अब आगाज़ क्या करोगे
मै चंद टुकड़ो के लिए किसी का गुलाम तो नहीं
मेरी पहचान के लिए मुझे मोहताज़ क्या करोगे ...!!!
औकात नहीं कुछ भी, खुद पे नाज़ क्या करोगे
मै वो दीया नहीं जो, हवा के झौके से बुझ जाऊ ,
मेरी इस हिम्मत का, तुम इलाज़ क्या करोगे
चाहे जितना भी तू अब, मुझे आजमा कर देख ले
दम भरते आसमानों का, अब परवाज़ क्या करोगे
दुश्मनी करना हमने किसी से सिखा तो नहीं था
शुरुवात तो तुमने क़ी अब आगाज़ क्या करोगे
मै चंद टुकड़ो के लिए किसी का गुलाम तो नहीं
मेरी पहचान के लिए मुझे मोहताज़ क्या करोगे ...!!!
No comments:
Post a Comment
Please Leave Your Precious Comments Here