"यह नदियाँ राष्ट्र की रक्त धमनियां हैं
और गंगा राष्ट्र की मुख्य रक्तवाहिनी ही नहीं
इसमें शामिल है युगों की संस्कृतियों का प्रवाह.
हमारी हिलोरें मारती आस्था को निर्मल और निर्बाध बहने देने के लिए भी
हमें अगर आन्दोलन करना पड़े तो स्थिति शर्मनाक है.
अपनी युगों से प्रवाहमयी संस्कृत के श्रोत गंगा को बचाएं
और अपना कर्तव्य निभाएं." ---- राजीव चतुर्वेदी
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