"बड़ी उदास है यह रात, सर्द हैं रिश्ते,
हवाएं हांफती है, खिड़कियाँ भी खौफ में हैं,
सर्द होते जा रहे रिश्तों के रास्ते लम्बे हैं यहाँ,
सत्य का साहस लिए, संताप से सहमा हुआ गुजरता हूँ गुजारिश सा
घटनाएं भी गुजरती हैं घटाओं की तरह जैसे अनुभव हो मरुथर में भी बारिस का,
यादों के अलावों में सुलगती थी जो याद तेरी अब बुझती जा रही है, --ताप लूं .
कल सुबह हर याद को फिर राख बानना है
दौर ऐसा है दिया दयनीय है हर याद का
सो भी जाने दो मुझे, दरवाजों पर अब दस्तक न दो
आस आंसू से बही थी, ओस पंखुड़ियों पे न देख
अब तो दीपक बुझ रहा है जल चुके विश्वास का." ----राजीव चतुर्वेदी
|
Total Page Views of Dil Se Desi Shayari-Poetry Blog by
Visitors w.e.f. 20.00 Hrs IST 26/06/11
Visitors w.e.f. 20.00 Hrs IST 26/06/11
Total Page/Topic Views
Recent Topics
Tuesday, 17 April 2012
अब तो दीपक बुझ रहा है जल चुके विश्वास का." ----राजीव चतुर्वेदी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
Please Leave Your Precious Comments Here