" क्रान्ति की भ्रान्ति में ग़दर का सफ़र हम कर रहे हैं
आसान किश्तों में जज़बात मेरे मर रहे हैं
खोद डाले हैं सफ़र के रास्ते हमने कुकर्मों की कुदालों से
मसालें हाथ में लेकर मिसालें क्रान्ति की देकर यहाँ क्या हो रहा है ?
विचारों की बस्तियों में आगजनी करके जो कल भाग निकले थे
वही अब राख में क्रान्ति की इबारत लिख रहे हैं
इन अंधेरों में लालटेनो के कारखाने चल रहे हैं ." ---- राजीव चतुर्वेदी
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